依韵和通判八月十五夜招翫月二章
宋代 - 梅尧臣
寻常圆魄岂不好,竞爱今宵分外明。
明极只知无隔碍,谁言桂树向中生。
宋代 - 梅尧臣
寻常圆魄岂不好,竞爱今宵分外明。
明极只知无隔碍,谁言桂树向中生。
02023-06-130
02020-09-120
02023-03-200
02023-05-280
02023-05-230
02023-08-240
02022-02-150
02023-08-260
02023-06-110
02019-09-190
02023-05-140
02023-09-110
02023-08-280
02023-06-150
02022-08-120
02023-06-150